दाग

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पुस्तक 2: अध्याय 15: भाग्य क्रूर है

अध्याय 15: किस्मत निर्दयी है

अन जीयून

क्यों। यही एक शब्द मेरे दिमाग में गूंज रहा है। क्यों मेरे जैसे लोगों का शिकार हो रहा है? क्यों मैं ही बदकिस्मत हूँ? क्यों? मैं बस जंगल में घूमना चाहती हूँ; मुझे यह सब नहीं चाहिए। मुझे लूना नहीं बनना है। मुझे जादूगरनियों से लड़ना नहीं है। क्यों मेरे पास दो दिल है...

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